स्वयं सहायता समूह में नौकरी। अक्षर साथी योजना क्या है? Swayam sahayata samuh job

स्वयं सहायता समूह में नौकरी। अक्षर साथी योजना क्या है? Swayam sahayata samuh job

  राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत चल रहे स्वयं सहायता समूह में ग्राम संगठन होता है। ग्राम संगठन के सभी कार्यों जैसे कि ग्राम पंचायत में समूह का गठन करवाना। ग्राम पंचायत में कितने समूह चल रहे हैं और उन में कितने सदस्य हैं इसका लेखा-जोखा ग्राम संगठन के पास होता है।

ग्राम संगठन में इस लेखे जोखे को करने के लिए पुस्तक संचालक BK (book keepar) के पद के लिए नौकरी दी जाती है।

आइए जानते हैं पुस्तक संचालक के क्या कार्य हैं? पुस्तक संचालक को कब से मानदेय मिलने लगता है? पुस्तक संचालक को कितना मानदेय मिलता है?

पुस्तक संचालक BK के क्या कार्य रहे हैं?

ग्राम संगठन में पुस्तक संचालक की भूमिका अहम होती है। ग्राम संगठन में होने वाले किसी भी प्रकार की सभा को पुस्तक संचालक लिखित रूप में वर्णित करता है। पुस्तक संचालक यदि किसी भी प्रकार की योजना बनाई जाती है तो उसमें पुस्तक संचालक पूरी जानकारी रजिस्टर में नोट करता है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत गठित किए जाने वाले प्रत्येक समूह की जानकारी संबंधित ग्राम सभा के ग्राम संगठन के पास होती है। ग्राम संगठन के द्वारा ही समूह सखी और समूह में अध्यक्ष सचिव और कोषाध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है।
ग्राम संगठन में होने वाली आम सभा की मीटिंग को पुस्तक संचालक द्वारा लिखा जाता है।
ग्राम संगठन की मीटिंग में कौनसी कार्यवाही की गई कौन से प्रस्ताव लिखे गए। ग्राम संगठन की सभा में कितने सदस्यों ने भाग लिया। इन सब कार्यों की जानकारी प्रस्तुत संचालक को देनी पड़ती है।

पुस्तक संचालक को कब से मानदेय मिलने लगता है?

ग्राम संगठन में पुस्तक संचालक के पद पर नियुक्त हुए महिला अथवा पुरुष को ग्राम संगठन बनने के बाद नौकरी पर नियुक्त किया जाता है।
इस नौकरी को राष्ट्रीय आजीविका मिशन द्वारा संविदा पर रखा गया है। संविदा का अर्थ होता है कि नियुक्त किए गए अभ्यर्थी की कोई निश्चित मानदेय नहीं होगा और नियुक्त किया गया व्यक्ति को कभी भी इस पद से निकाला जा सकता है।
ग्राम संगठन के पुस्तक संचालक को ग्राम में पंजीकृत किए गए समूहों के सदस्यों द्वारा मानदेय चेक के रूप में दिया जाता है।
पुस्तक संचालक को 6 महीने के प्रशिक्षण के पश्चात मानदेय दिया जाता है।

पुस्तक संचालक को कितना मानदेय मिलता है।

ग्राम संगठन के पुस्तक संचालक को समूह के सदस्यों द्वारा ₹500 वेतन के रूप में दिया जाता है। समूह के सदस्य पुस्तक संचालक को उसका वेतन है उसके कार्यों के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
ग्राम संगठन पर राष्ट्रीय आजीविका मिशन Nrlm का नियंत्रण रहता है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के द्वारा ही ग्राम संगठन के सदस्यों जैसे समूह सखी और पुस्तक संचालक के वेतन का निर्धारण किया जाता है।  इसके बाद समूह के सदस्य इस वेतन चेक के रूप में पुस्तक संचालक को प्रदान करते हैं।

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