राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह का गठन होता है। स्वयं सहायता समूह का गठन ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं द्वारा किया जाता है। आइए जानते हैं स्वयं सहायता समूह बनाने के क्या लाभ हैं। स्वयं सहायता समूह के क्या फायद हैं।
स्वयं सहायता समूह |
स्वयं सहायता समूह क्या है?
स्वयं सहायता समूह का गठन ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ और मजबूत बनाने के लिए किया जाता है।
भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं में धन के बचत एवं रोजगार के अवसर प्रदान करने हेतु राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह गठन योजना प्रारंभ की।
स्वयं सहायता समूह का गठन ग्रामीण क्षेत्र की 10 से 12 महिलाएं कर सकते हैं। स्वयं सहायता समूह में अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और सचिव तीन प्रमुख महिलाएं होती हैं और अन्य महिलाएं सदस्य के रूप में जोड़ी जाती हैं। इसके बाद अपने ब्लॉक स्तर पर जाकर अथवा ऑनलाइन कंप्यूटर या किसी सीएससी जन सेवा केंद्र पर स्वयं सहायता समूह का रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।
स्वयं सहायता समूह के गठन के बाद समूह की महिलाओं को भारत सरकार की तरफ से रोजगार सृजन हेतु ऋण एवं अन्य योजनाओं तथा संविदा वाली नौकरियों पर जगह दी जाती है।
स्वयं सहायता समूह से क्या लाभ हैं?। स्वयं सहायता समूह से फायदे।
स्वयं सहायता समूह से रोजगार हेतु (loan) ऋण।
स्वयं सहायता समूह में नौकरी।
स्वयं सहायता समूह में रोजगार।
- Swayam sahayata samuh से लोन लेकर अचार पापड़ व्यवसाय करें।
- स्वयं सहायता समूह से लोन लेकर मोमबत्ती रोजगार करें।
- स्वयं सहायता समूह से लोन लेकर दोना पत्तल रोजगार करें।
- स्वयं सहायता से लोन लेकर पानी पैकिंग या प्यूरीफायर रोजगार शुरू करें।
- स्वयं सहायता समूह से लोन लेकर अगरबत्ती रोजगार शुरू करें।
- स्वयं सहायता समूह से लोन लेकर ई-रिक्शा रोजगार प्रारंभ करें।
- स्वयं सहायता समूह से सोलर दीदी बनकर सोलर लैंप रोजगार प्रारंभ किया जा सकता है।
Swayam sahayata samuh se labh। स्वयं सहायता समूह बनाने के बाद लाभ।
- स्वयं सहायता समूह गठन के बाद समूह की गरीब महिलाओं में बचत की आदत विकसित होती है।
- स्वयं सहायता समूह से आपातकालीन उपयोगिता एवं रोजगार हेतु आसानी से ऋण प्राप्त हो जाता है।
- स्वयं सहायता समूह से विभिन्न प्रकार का प्रोत्साहन एवं सहायता प्राप्त होना।
- महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार।
- महिलाओं का आर्थिक रूप से सशक्तिकरण जिससे महिलाएं स्वयं किसी आपदा एवं संकट ग्रस्त होने पर समूह से धन जुटा पाने में सक्षम होना।
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